ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है — आख़िर क्यों इतने भारतीय छात्र, खासकर कश्मीरी, मेडिकल पढ़ाई के लिए विदेश, और विशेष रूप से ईरान जाते हैं?
विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, 2022 में लगभग 2,050 भारतीय छात्र ईरान में पढ़ रहे थे, जिनमें से ज़्यादातर मेडिकल कॉलेजों में दाखिल थे, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़, शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी। इन छात्रों में कश्मीरी छात्रों की संख्या विशेष रूप से अधिक है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संकट ने विदेश में भारतीय मेडिकल छात्रों की बड़ी संख्या को उजागर किया है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' के तहत हज़ारों छात्रों को निकाला था।
ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए इसलिए भी आकर्षक है क्योंकि वहाँ पढ़ाई की फीस कम होती है, भाषा और संस्कृति से कुछ हद तक समानता है, और शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक जुड़ाव की भावना भी महत्वपूर्ण कारण बनती है।